आधी अबादी का आधा सच...


8 मार्च यानी अंतरराष्टकृीय महिला दिवस यह सुनने लिखने और पढ.ने में तो बहुत ही अच्छा लगता है। लेकिन अगर इस पर गंभीरता से विचार किया जाए, तो एक सवाल जेहन में उभरता है कि क्या सिर्फ एकदिन महिलाओं के नाम से समर्पित करने मात्र से ही उनकी समस्याएं और उनकी चुनौतियां खत्म हो पायेगी? इस सवाल का जवाब पाने में शायद सदियां लग जाएं, पर फिर भी जवाब ना मिले।  महिला दिवस मनाने का मुख्य उड्ढेश्य महिलाओं और पुरूषों में समानता बनाए रखना था। लेकिन आज इतने वर्षो  बाद भी महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में पुरूषों से पीछे ही हैं। हर साल महिला दिवस एक थीम पर आधारित होती है ताकि महिलाओं को जागरूक किया जा सके। वर्ष 2019 का थीम है थिंकइक्वल, बिल्ड स्मार्ट,इनोवेट फार चेंज है। इस साल इस थीम का उड्ढेश्य नई सोच के साथ लैंगिक समानता और महिला यशक्तिकरण जैसे मुद्रदों पर अपना ध्यान केंद्रीत करना है। इसके अलावा इस वर्ष महिलाओं की समाजिक सुरक्षा के अतिरिक्त सार्वजनिक सेवा और इंफ्रास्टकचर के क्षेत्र में इनकी उपस्थिती में ध्यान दिया जाएगा।  भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत ही महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता।‘ अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। लेकिन वर्तमान में जो हालात हैं, उसमें नारी की स्थिती देख कर कहा जा सकता है कि वो सिर्फ एक भोग की वस्तु बन कर रह गई है। जो चिंतनीय ेेहै। महिलाओं के लिए बनाए गए कानून और बेहतर शिक्षाप्रणाली ने जनचेतना लाने का काम किया है, लेकिन फिर भी समाज के कुछ तबके में ही परिर्वतन आ रही है। बदलते परिवेश में हमारे समाज में महिलाओं को लेकर कुछ परिर्वतन तो आया है, किंतु अब भी एक बड.ा हिस्सा इस परिवर्तन से कोसो दूर है। क्योंकि आज भी बाल-विवाह,  दहेजप्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, डायन प्रथा और विधवाओं को लेकर हमारा समाज असंवेदनशील बना हुआ है। कठोर कानून होने के बावजूद इन कुरूतियों पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लगा सका है। पुरूषों के साथ महिलाओं की बराबरी तो कर दी जाती है, लेकिन जब बात आजादी की हो तो तमाम तरह की पाबंदियां सिर्फ महिलाओं पर ही लगाई जाती हैं। बाल विवाह और विधवाओं के लिए राजा राम मोहन राय के सुधारवादी आंदोलन से लेकर शरदचंद और प्रेमचंद के उपन्यासों तक स्त्री ने जो दंश झेला है वह अवर्णीय है। आज भी विधवाएं समाज द्वारा तिरस्कृत होने पर अपनी जीविकोपार्जन के लिए वृंदावन में भीख मांगने पर विवश हैं। धर्म और परंपराओं के नाम पर वैधव्य के कारण वे तमाम तरह के शोषण का शिकार हो रही हैं। होली खेलने की अनुमति मिलने से इनकी जिंदगी के खोये हुए रंग वापस नहीं आयेंगे, हां वे एकदिन के लिए खुश जरूर हो जायेंगी। जैसे हम सभी महिला दिवस के दिन खुश होते हैं। समाज की दूसरी सबसे बड.ी कुरीति बालविवाह है जो केवल भारत में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में होते आए हैं। और समूचे विश्व में भारत का बालविवाह में दूसरा स्थान है। कच्ची उम्र में विवाह होने के कारण शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण रूप से नहीें हो पाता है और नतीजा शिशु एवं माता की मृत्यु दर में वृद्धि होती है। यह भी एक प्रकार की हिंसा ही है, जिसमें शारीरिक चोट की जगह मानसिक चोट दी जाती है। आर्थिक एवं प्रौद²योगिकी परिवर्तनों के बाद भी महिला हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। बालविवाह के बदले अगर लड.कियों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए तो यह ज्यादा अच्छा होगा। उसके बाद शादी मजबूरी नहीं बल्कि खुशहाल जीवन का प्रतीक होगी। भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं आए दिन हम पढ.ते और सुनते हैं। लेकिन इस दर्द को वही महसूस कर सकते हैं जिस मां ने इसका दंश झेला है , इसके र्दद को सहन किया है। इसी कृत्य के कारण ही तो हमारी आबादी आधी बची है। लेकिन फिर भी हम महिला दिवस की बात करते हैं, एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। लेकिन किन को समाज के एक तबके को जो पढ.े लिखे हैं और वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन किसी लाचार महिलाओं को शायद ही किसी ने महिला दिवस की शुभकामनाएं दी होंगी। क्योंकि हमारे लिए महिला सिर्फ मां, बहन या दोस्त ही होती हैं, जिन्हें हम महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हैं। आज जरूरत है कि हम हर महिला का सम्मान करें। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए कि एक नारी के कारण ही वह धरती पर अवतरित हुआ है और इस दुनिया में अपना अस्तित्व बना पाया है। तभी सही मायनों में महिला दिवस सार्थक होगा अन्यथा 8 मार्च र्सिफ एक रसमअदायगी बन कर ही रह जाएगा। और यही है आधी आबादी का आधा सच जो कड.वा है पर सच है। 







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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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