सरिता आज कॉलेज
के लिए बहुत
जल्दी निकल गई
थी। उसके कॉलेज
खत्म होने में
बहुत कम दिन
ही बचे थे
इसलिए वह अपना
ज्यादा से ज्यादा
समय कॉलेज में
बीतना चाहती थी।
सरिता अपनी सहेली
पूजा के घर
गई और दोनों
सहेलियां कॉलेज के लिए
निकल गईं। सरिता
कॉलेज खत्म होने
की बात से
बहुत ही उदास
थी। और उसका
कारण सूरज था
जो उसी के
कॉलेज में पढता
था। सूरज बहुत
ही आकर्षक लंबे
कद का पढ.ाई में
बहुत ही होशियार लड.का था।
जिससे सरिता मन
ही मन पसंद
करती थी। और
सूरज भी सरिता
को पसंद करता
था, पर दोनों
ही यह बात
एक दूसरे से
कहने की हिम्मत
नहीं कर रहे
थे। सूरज चाह
कर भी सरिता
को अपनी दिल
की बात नहीं
बता पा रहा
था क्योंकि सरिता
की जाति और
रूतबा दोनों ही
उससे क्ंचे थे।
सरिता के पिताजी
शहर के धनवान
व्यक्तियों में जाने
जाते थे, और
घर में उनकी
बात को कोई
काट नहीं सकता
था। वहीं सूरज
के पिता र्क्लक
की नौकरी कर
बहुत मुश्किल से
परिवार का भरण-पोषण करते
थे। सरिता इन
सब बातों से
बेखबर सूरज के
पहल का इंतजार
करती रही। और
इसी इंतजार में
कॉलेज का अंतिम
दिन भी आ
पहुंचा। सरिता की सहेली
पूजा ने उसे
कहा कि वो
जा कर सूरज
को अपने दिल
की बात कह
दे। सरिता इस
बात के लिए
तैयार भी हो
गई। लेकिन किस्मत
को कुछ और
ही मंजूर था।
सरिता के पिताजी
ने उसकी शादी
अपने दोस्त के
बेटे जो अमेरिका
से अपनी पढ.ाई पूरी
करके आया था
उसके साथ तय
कर दी थी।
और सरिता को
इस बात की
जानकारी उसकी मां
ने दे दी
थी। परिवार की
इज्जत का वास्ता
दे कर सरिता
की मां ने
उसे राजी भी
कर लिया था।
सरिता बुझे मन
से कॉलेज के
आखिरी दिन अपने
दोस्तों से मिलने
गई। लेकिन उसकी
आंखें सूरज को
ही ढूंढ रही
थी। सूरज को
भी सरिता से
दूर होने का
गम था, लेकिन
उसने अपने अरमानों
को दिल में
दबा कर सूरज
को ढूंढती रही।
सूरज और सरिता
आमने-सामने हो
कर भी एक
दूसरे से बिल्कुल
अजनबी की तरह
मिले। और आंखों
ही आंखों में
तड.पते दिल
से एक दूसरे
को अलविदा कहा
और अपने-अपने
सफर पर चल
निकले। घर आते
ही सरिता की
मां ने उससे
कहा कि कल
सुमित और उसके
घर वाले शादी
तय करने आ
रहे हैं। सरिता
रात भर रोती
रही और अंतत
उसने किस्मत के
साथ समझौता कर
सुमित के साथ
शादी करने का
फैसला किया। शादी
के बाद सरिता
के मां बाप
बेटी की किस्मत
में अच्छा घर
और अच्छे लड.के के
रूप में सुमित
को पा कर
बहुत खुश थे
। उदास कोई
था तो वो
सिर्फ सरिता। फिर
भी वह अपनी
गृहस्थी को ही
अपनी नियती मान
कर उसमें
सामंजस्य बिठाने की कोशिश
करने लगी। सरिता
का पति सुमित
लंबे कद काठी
का एक आकर्षक
युवक था। अमेरिका
में रहने के
कारण उसे शराब
की बुरी लत
थी। पहले वह
कभी-कभी ही
शराब पीता था।
लेकिन बाद में
उसका शौक एक
लत की तरह
उसके पीछे पड.
गया। अब वह
क्या दिन क्या
रात हर वक्त
शराब के नशे
में डूबा रहता
था। जिसके कारण
वह अपने बिजनेस
पर भी कम
ध्यान देने लगा।
सरिता के समझाने
का भी उसपर
कोई असर नहीं
हुआ। शराब के
ज्यादा सेवन करने
से सुमित की
तबीयत बिगड.ने
लगी। एक दिन
सरिता सुमित को
लेकर डॉक्टर के
पास गई। सुमित
की जांच के
दौरान डाक्टर ने
कहा की ज्यादा
शराब पीने की
वजह से सुमित
की दोनों किडनी
खराब हो गई
है। यह सुन
कर सरिता फूट-फूट कर
रोने लगी। वह
बड.े से
बड.े डाक्टर
से अपने पति
की ईलाज करवा
कर उसे ठीक
करवाना चाहती थी। पति
की बीमारी की
वजह से उसके
पैसे भी धीरे-धीरे खत्म
होने लगे। सरिता
के माता-पिता
अपनी बेटी की
बेबसी देख कर
बहुत ही दुखी
थे। लेकिन वे
अब अपनी लचारी
और बेटी की
बेबसी पर आंसू
बहाने के सिवा
कुछ भी नहीं
कर सकते थे।
इधर सरिता दिन
ब दिन पति
की गिरती सेहत
को लेकर परेशान
रहने लगी। एकदिन
सरिता को उसकी
सहेली पूजा ने
बताया कि अमेरिका
से एक डॉक्टर
जो किडनी रोग
के विशेषज्ञ हैं
आने वाले हैं।
यह सून कर
सरिता ने यह
तय किया कि
वह अपने पति
सुमित को उस
डाक्टर के पास
जरूर लेकर जायेेगी।
अगले ही दिन
वो अपने पति
को लेकर डाक्टर
के पास पहुंच
गई। जब सरिता
ने उस डाक्टर
को देखा तो
उसे उसकी शक्ल
कुछ जानी पहचानी
लगी। लेकिन वो
बदहवास अपने पति
को जल्द से
जल्द ठीक करने
के उड्ढेश्य से
डाक्टर से बार-बार आग्रह
करने लगी। लेकिन
जैसे ही डाक्टर
ने सरिता कह
कर पुकारा, तो
वह चौक कर
उसे देखने लगी।
सालों के बाद
उसने यह आवाज
सूनी थी। अचानक
उसके मुंह से
निकला सूरज तुम!
सरिता को समझ
नहीं आ रहा
था कि वह
क्या कहे क्या
करे। दिल में
बहुत सारे सवाल
थे पर अपने
पति की तरफ
देखा और रूक
गई। सूरज को
देखकर उसके दिल
से एक आवाज
आई काश तुम
मेरे लिए आज
भी अजनबी ही
रहते।
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