प्रेम गली अति संाकरी


प्यार एक अहसास है, जिसमें ना कोई सीमा होती है और ना कोई र्शत। इसमें होता है तो सिर्फ भावना, त्याग, आकर्षण और सर्मपण। प्यार अनेक भावनाओं और विचारों का समावेश भी होता है। यह अपने प्रियतम को देखने की चाह, स्नेह ,उसकी खुशी और निजी जुड.ाव की ओर धीरे-धीरे अग्रसर करता है। यह दया भावना और स्नेह दिखाने का भी तरीका हो सकता है। प्यार का दायरा बहुत बड. होता है , प्यार सिर्फ प्रेमी और प्रेमिका का ही नहीं होता यह तो माता-पिता, खुद के प्रति किसी इंसान या जानवर के प्रति भी हो सकता है। प्यार एक शब्द है जिससे सुनने मात्र से ही हमें अच्छा महसूस होने लगता है। इस शब्द में पॉजिटिव एनर्जी है जो हमें मानसिक और आंतरिक खुशी प्रदान करती है। प्रेम हर बंधनों से परे एक आत्मशक्ति है जहां सब कुछ हो सकता है।
क्या होता है सच्चा प्यार
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शक्स होगा जिसने कभी किसी से प्रेम ना किया हो। पर आज के संदर्भ में सच्चा प्यार बहुत कम लोगों को ही मिल पाता है। क्योंकि लोग अब अपने मतलब के लिए प्यार करने लगे हैं। कुछ लोग इससे परे जरूर हैं। सच्चा प्यार वह होता है जो सभी हालातों में आप के साथ हो चाहे वह खुशी हो या फिर गम। प्यार का मतलब र्सिफ हर वक्त साथ रहना नहीं होता है। बल्कि प्रेम तो वह अनुभूति है जिसमें साथ का अहसास निरंतर बना रहता है। लोग प्यार तो कर लेते हैं, लेकिन प्यार है क्या और यह होता कैसे है इस बारे में वे नहीं जान पाते।
दिल नहीं दिमाग का मामला है प्यार
कुछ लोगों का मानना है कि प्यार दिल से होता है, तो वहीं कुछ मानते हैं कि यह दिमाग का काम है। लेकिन प्यार तो दिमाग का काम है एक अध्ययन में यह बात साबित भी हुई है। स्टेेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूर्याक के शोधकर्ताओं ने पाया कि दिमाग का वह भाग जिससे प्रेरणा और प्रतिफल की भावना जुड. होती है, वही भाग प्यार में दीवानगी की हद तक ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। अर्थात प्यार होने के लिए दिल नहीं दिमाग की भूमिका होती है। इंसान को कोई चीज पसंद जाये तो वो उसकी तरफ आकर्षित हो  जाता है फिर धीरे-धीरे यही आकर्षण लगाव बन जाता है और फिर यह प्यार मेें बदल जाता है।


कैसे होता है प्यार
हमारे साथ भी यह होता है कि हमें किसी का चेहरा पसंद होता है तो किसी का स्टाइल, किसी की आंखें पसंद जाती हैं, तो किसी के होठ। किसी के बात करने का तरीका अच्छा लगता है तो किसी का व्यवहार। किसी के गुण पसंद जाते हैं तो किसी का साथ पसंद जाता है। जब हमें किसी इंसान में कोई चीज पसंद आती है, तो हम अपने आप ही उस इंसान से खुद में एक जुड.ाव महसूस करने लगते हैं। कभी-कभी यह वक्त और जिम्मेदारियों के कारण यह जुड.ाव खत्म हो जाता है, तो कभी-कभी यह लगाव काफी बढ. जाता है। और यही लगाव धीरे-धीरे प्यार में बदल जाता है। और हमें उसकी आदत सी हो जाती है, यहीं से प्यार की शुरूआत होती है। और जब किसी को किसी से प्यार हो जाता है तो उसकी पूरी दुनिया ही बदल जाती है। वह उसकी हर छोटी बड. बातों को गौर करने लगता है। हमेशा उसके साथ होने और उसके बारे में ही सोचने लगता है। दुनिया की हर चीज उसे प्यारी लगने लगती है। वे एक दूसरे के फोन और मैसेजेस के इंतजार करने लगते हैं। और वे एक दूसरों की गलतियों को भी प्यार की दृष्टि से देखने लगते हैं। अर्थात प्यार इंसान की पूरी फितरत बदल कर उसे एक अलग दुनिया के सपने दिखाने लगती है। जिसमें र्सिफ खुशियां ही खुशियां होती हैं।
फरवरी क्यों होता है प्यार का महीना
अब बात यह है कि आखिर फरवरी को ही प्यार का महीना क्यों कहा जाता है। फरवरी का संबंध बसंत के महीने से होता है। और बसंत प्रकृति और प्रजनन को बनाए रखने वाला मौसम है, इस समय मौसम भी करवट लेता है और हवाएं भी रूमानी हो जाती है। प्रकृति की संवेदनशीलता के कारण लोग प्रेम को महसूस करते हैं। प्यार तो सभी कर लेते हैं, पर बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जो इसकी गहराई में उतरते हैं। कबीर प्रेम को दुरारोह और दुष्प्राय मानते थे उस स्तर पर जहां प्रकृति और निवृति आसक्ति और अनासक्ति लोक परलोक एक साथ नहीं चल सकते हैं। और वहां क्षणिक का अंत हो जाता है और संपूर्ण ब्राöमांड अपना सा लगने लगता है वही प्रेम का सच्चा रूप होता है।  तभी तो कबीददास ने कहा है प्रेम गली अति सांकरी तामे तामे दौड. समाहि।

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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