स्वतंत्रता के लिए संघर्ष अभी बाकी है...

आजादी किसे अच्छी नहीं लगती, क्या पशु-पक्षी और क्या इंसान सभी को आजादी पंसद होती है। 15 अगस्त यानी देश की आजादी का दिन। इस स्वतंत्रता को पाने के लिए हमें एक लंबा संघर्ष भी करना पड.ा। यह दिन पूरे देशवासियों के लिए एक भावनात्मक दिन है। इस साल हम 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। और  भारतीय स्वतंत्रता के अध्याय में एक और नया साल जुड.ने जा रहा है। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटीश शासन से भारत को मुक्ति मिली। और भारत ने आजादी का पहला सूरज देखा था। आजाद भारत में लोगों ने बहुत तरह के सपने देखे। बेहतर शिक्षा, रोजगार और उन्नत भारत का सपना। लेकिन आज जब हम 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं तब भी भारत की अधिकांश जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित बेहतर जिंदगी के लिए जद्रदोजहद कर रही है। आपसी भाईचारे की बात तो होती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। धर्म के नाम पर लड.ाई झगड. होते रहते हैं। कहने को हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन सबसे ज्यादा लोग आपसी द्वेष धर्म के नाम पर ही रखते हैं। हम लोकतंत्र में रहते हैं, और जब सभी व्यक्ति को एक समान हक और भागीदारी मिलेगी तभी एक सच्चे जनतंत्र का निर्माण होगा। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सरकारें इसके लिए प्रयासरत नहीं है। सरकार हर वर्ग के लिए योजना बनाती है, लेकिन इन योजनाओं का प्रति व्यक्ति और प्रति कस्बे तक पहुंच पाना संभव नहीं होता है। और इसका नतीजा यह है कि आज भी संयुक्त राष्ट´ की रिपोर्ट के अनुसार 36.9 करोड. लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ.ती जनसंख्या दर है। और जनसंख्या बढ.ने के कारण निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं और वित्तीय संसाधनों की कमी की दर बढ.ती है। जिसके कारण प्रति व्यक्ति की आय प्रभावित होकर घटती है। आज हम सभी 21वीं शताब्दी में रहते हैं, लेकिन एक रिर्पोट के अनुसार आज सिर्फ 18 प्रतिशत लोगों के पास मूलभूत सुविधाएं शुद्ध पानी, भोजन और साफ-सफाई युक्त वातावरण है। और एक तिहाई तबका आज भी इन सुविधाओं से वंचित है।

 सरकार जनहित में कई योजनाएं चला रही हैं। लेकिन उन एक तिहाई में से कुछ लोग ही इन सुविधाओं द्वारा लाभाविंत हो रहे हैं। बाकि लोग आज भी इन सुविधाओं से महरूम हैं। हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। लेकिन किसानों को वो मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाती जिससे उनकी पैदावार बढि.या हो सके। और इसका परिणाम यह हो रहा है कि किसान कर्ज तले दब कर आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। एनसीबीसी की रिर्पोट के अनुसार अब तक देश के 2 लाख किसानों ने आत्महत्या कर ली है और 41 फीसदी किसान खेती छोड.ना चाहते हैं। बची खुची कसर मंहगाई ने पूरी कर दी है। जबकि सरकार ने फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड योजना और बीज प्रशिक्षण जैसी अनगिनत योजनाएं चला रखी हैं। लेकिन जानकारी के अभाव या फिर लंबी कागजी कार्यवाई के कारण बहुत कम कृषक ही इन योजनाओं का लाभ उठा पा रहे हैं। आज भी 33 करोड. की आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है। यह सवाल यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर विकास हो कहां रहा है। सिर्फ कागजों पर या फिर यह एक रसमआदयगी बन कर रह गई है। किसी भी राष्ट´ को विकासशील राष्ट´ की श्रेणी में तभी लाया जा सकता है जब वहां के नागरिक आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर विकसित हों। लेकिन हमारे देश के नागरिकों को सक्षम होने में अभी कुछ वर्षों का इंतजार और करना होगा। यह पहल किसी सरकार या व्यक्ति को नहीं बल्कि हम सब को स्वयं से करनी होगी। तभी हम अपने साथ-साथ राष्ट´ का उत्थान कर पायेंगे। भारत को विश्व गुरू बनाने के लिए यह जरूरी है कि लोगों के लिए जो योजनाएं चलायी जा रही हैं। उसे सिर्फ रसमअदायगी तक सीमित रखा जाये। उन योजनाओं और सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचा कर लोगों को लाभाविंत करना होगा। साथ ही साथ आवश्यक आवश्यकताओं और उनकी समस्याओं पर भी ध्यान देना होगा। तभी देश का उत्थान होगा। और हम सब इन समस्याओं से आजाद हो सकेंगे। और जब तक यह नहीं होगा तब तक हमें स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखना होगा।

 

 

 

SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें