हिंदी दिवस अर्थात अपनी मातृभाषा को सम्मान देने का दिन। मातृभाषा वो भाषा होती है जिसके जरिए कोई भी व्यक्ति अपने भावों की अभिव्यक्ति अत्यंत सहज और सरल तरीके से कर सकता है। जितनी अच्छी तरह मातृभाषा में भावों की अभिव्यक्ति की जा सकती है, वह किसी अन्य भाषा में संभव नहीं है। अर्थात जिस भाषा को बोलने और लिखने में अपनापन लगे वही मातृभाषा होती है। मातृभाषा लोगों के दिलों के बेहद करीब होती है। वह दिलों को जोड.ती है, तभी तो कहा जाता है कि अभिव्यक्ति हिंदी के बिना अधूरी है। इन्हीं सब गुणों के कारण भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया था। और अपनी मातृभाषा को सम्मान देने के उड्ढेश्य और हिंदी का प्रचार-प्रसार कर आम लोगों के मध्य हिंदी के उपयोग को बढ.ाने कि लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसके साथ ही 14 सितबंर से 20 सितंबर तक राजभाषा सप्ताह भी मनाया जाता है। राजभाषा सप्ताह के दौरान विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के विकास के कारण हिंदी भाषा अपनी महता खो रही थी। इसलिए हिंदी के अस्तित्व को बनाए रखने और इसके प्रचार- प्रसार के लिए ही हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता पड.ी। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार हिंदी विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। और यह पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली चौथी भाषा है। लेकिन वर्तमान समय में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव हिंदी पर पड.ने लगा है। और अंग्रेजी भाषा की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ. रही है। इस कारण अपने ही देश में हिंदी के अस्तित्व पर संकट आ गया है। लोग अपनी मातृभाषा के महत्व तथा इसके सम्मान को भूलते जा रहे हैं। इसलिए हिंदी दिवस का महत्व और भी ज्यादा है। ताकि इस एक दिन के जरिए लोग अपनी मातृभाषा को याद करे और उसका महत्व समझें। लेकिन क्या इस एक दिन के मान सम्मान और सप्ताह भर चलने वाले हिंदी पखवाड.े से हिंदी के अस्तित्व को बचाया जा सकता है! यह एक बड.ा सवाल है। क्योंकि लोग हिंदी दिवस पर हिंदी की बातें और शुभकामनाओं की झड.ी लगा देते हैं। लेकिन जैसे ही दिन बितते हैं, लोग हिंदी की महता को भूलते चले जाते हैं। देश में केंद्र और राज्य सरकारें सप्ताह भर हिंदी पखवाड.ा चलाने का आदेश पारित कर बड.े-बड.े बैनर और भाषणों के जरिए अपने कर्मचारियों को पूरे सप्ताह हिंदी में काम करने की सलाह दे कर रसमअदायगी कर देती हैं। लेकिन सिर्फ एक सप्ताह तक हिंदी में कामकाज करने से हिंदी का अस्तित्व बरकरार रह पायेगा यह कहना अतिशयोक्ति ही होगी।
अंग्रेजी भाषा समय की मांग है और इसे सिखना और इस्तेमाल करना गलत नहीं है। लेकिन अपनी मातृभाषा को सम्मानजनक भाषा के रूप में मुख्यधारा में लाना भी जरूरी है। ताकि राष्ट का उत्थान हो सके। यह काफी चिंता की बात है कि हमारे देश में लोग राजभाषा के महत्व को नहीं समझ पा रहे हैं। इसलिए हिंदी दिवस मना कर लोगों को हिंदी के महत्व को समझाया जा रहा है और यह दिन उन्हें राजभाषा का सम्मान सम्मान करने के लिए प्रेरित करने के लिए भी समर्पित किया जा रहा है। हिंदी पीढि.यों को जोड.ती है, हिंदी के अलावा और ऐसी कोई भाषा नहीं जो अपने आप को बदलते समय में इतनी आसानी से ढाल कर अन्य भाषा को अपने में समाहित कर उसे एक नया रूप दे सके। हिंदी सम्मानजनक भाषा के रूप में मुख्य धारा में तभी लाई जा सकेगी। जब लोग ज्यादा से ज्यादा हिंदी भाषा का प्रयोग अपनी दिनचर्या में करेंगे। हिंदी बोलने, लिखने और पढ.ने में लोग शर्म की जगह गर्व महसूस करेंगे तभी हिंदी जन - जन की भाषा बनेगी। और इसे गरीबों और अनपढ.ो की भाषा के बजाय भारत की राजभाषा का दर्जा मिलेगा।


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