विश्व में जल का संकट कोने-कोने में व्याप्त है। दुनिया जरूर औघौगीकरण की राह पर चल रही है, किंतु स्वच्छ और रोगरहित जल मिल पाना कठिन हो गया है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि लोग साफ जल नहीं मिल पाने के कारण जल से होने वाली बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसमें दोष हम इंसानों का ही है। क्योंकि हम जल की महत्ता को लगातार भूलते गए और उसे बर्बाद करते रहे, जिसके फलस्वरूप आज जल संकट हमारे आज े सामने हैं। विश्व के हर नागरिक को पानी की महता से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्टकृ ने ’विश्व जल दिवस’ मनाने की शुरूआत की। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। जल को बचाने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। कहा जा सकता है कि विश्व जल दिवस यानी पानी बचाने का दिन, जल के महत्व को जानने और पानी के संरक्षण के विषय में सचेत होने का दिन है। एक अनुमानित आंकडे. के अनुसार लगभग 1ण्5 लोगों को पीने का शु्य पानी नहीं मिल रहा है। आज भी वे दूषित जल पीने को विवश हैं, क्योंकि उनके पास साधन और संसाधन दोनों का ही अभाव है। यह सही है कि पानी प्रकृतिक संपदा है और हमें इसका उपयोग अपने जीवन के लिए करना जरूरी है। लेकिन हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि हम जितना पानी खर्च कर रहे हैं उतना प्रकृति को लौटाए भी। अर्थात उसका संरक्षण करें। भारत और दुनिया के दूसरे देशों में जल की भारी कमी है जिसकी वजह से आम लोगों को पीने और खाना बनाने के साथ ही रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करने के लिए जरूरी पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड.ती है। इसलिए हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि दैनिक जरूरतों के लिए हम जरूरत से ज्यादा पानी न बर्बाद करें। वहीं यदि हम र्सिफ भारत की बात करें तो दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में पानी की किल्लत तो है, किंतु फिर भी यहां पानी की समस्या विकराल रूप में नहीं है। लेकिन देश के कुछ ऐसे राज्य भी हैं, जहां आज भी कितने ही लोग साफ पानी के अभाव में या फिर रोग जनित गंदे पानी से दम तोड. रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राजस्थान, जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज्यादा कीमती है। पीने का पानी इन इलाकों में बड.ी कठिनाई से मिलता है। हजारों किलो मीटर का सफर तय कर पीने का पानी लाती हैं। हम कह सकते हैं कि इनकी जिंदगी का अहम समय पानी की जड्ढोजदह में ही व्यतीत हो जाता है। आधुनिक जीवनशैली और बदलते परिवेश ने प्रदूषण को बढ.ाया है। जिसका परिणाम यह हो रहा कि जल के निरंतर उपयोग से इसका स्तर नीचे जा रहा है। और हमें गर्मी की शुरूआत से ही पानी की किल्लत झेलनी पड. रही है। महासागर में लगभग पूरे जल का 97 प्रतिशत नमकीन पानी है, जो इंसानों के लिए उपयोग के योग्य नहीं है। धरती पर मौजूद केवल 3 प्रतिशत पानी ही उपयोग के लायक है। 70 प्रतिशत पानी बर्फ और ग्लेशियर के रूप में है। ि र्सफ 1 प्रतिशत जल ही पीने के लायक उपलब्ध है। इसलिए यह जरूरी है कि हम सभी को वर्षा का पानी अधिक से अधिक सहेजने की कोशिश करनी चाहिए। यदि अभी पानी कोनहीं सहेजा गया, तो संभव है कि पानी केवल हमारी आंखों में ही बच पाएगा। पिछले सालों में तमिलनाडू ने वर्षा जल का संरक्षण करके जो मिसाल कायम की है, उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है। तभी हम पानी को बचा कर जीवन को सुरक्षित कर सकते हैं। नहीं तो पानी के बिना सब कुछ सूना हो जाऐगा।
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