कभी.कभी घटनाएं कुछ ऐसे घटित हो जाती हैं जो सिर्फ हमें आश्र्चयचकित करती हैं। मैं घटनाओं के पीछे नहीं जाती बल्कि घटनाएं स्वतः समाधान के लिए मेरा पीछा करती हैं। नहीं समझ पाई क्यों! शायद एक अंत और नई शुरूआत के लिए ही। अचानक एक अजनबी से मुलाकात और चंद मिनटों में ही अपनी जीवन से जुडण्ी तमाम खऊी मीठी यादों की पोटली मेरे सामने खोल कर रखने वाली का नाम भी तो मैं नहीं जानती थी। जब मैंने पूछा तो उसने सपना बताया था। और जो उसने अबतक की जिंदगी में भुगती थीए वह सब एक भयावह सपना ही तो था। सपना साधारण नैन नक्स वाली लडण्की छोटे से गांव से बडण्े सपनों को सजाए शहर पढने आई थी। इंजीनियर बनाना था उसे और मां.बाप ने बेटी के सपनों को अपने सपने समझ कर पूरा करने में कोई कसर नहीं छोडण्ा था। सपना अपने गांव की शायद पहली लडण्की होगी. जिसे इंजीनियर की पढाई के लिए शहर भेजा गया था। परिवारिक स्थिति मध्यम दर्जे की थीए लेकिन मां.बाप ने बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी सपना की पढाई पर लगा दी। सपना भी उनकी उम्मीदों पर पूरी खरी उतरी। वो र्सिफ और र्सिफ अपनी पढाई पर ही ध्यान देने लगी। लेकिन सब कुछ हमारे मन के मुताबिक होने लगे तो जिंदगी पर पूर्ण रूप से हम सभी का नियंत्रण हो जाए। और शायद ही कोई दुखी या उदास हो। सपना की जिंदगी में सौरभ का आगमन शायद उसकी जिंदगी की एक नई शुरूआत के तौर पर हुआ। पहले दोस्ती फिर प्यार और फिर साथ जीने मरने की कसमें उन दोनों ने खाई। इन सब के बीच सपना शायद अपने मां.बाप के प्यार विश्वास और उनके सपनों को भूल गई थी। गलती शायद उसकी भी नहीं थी. क्योंकि प्यार का अहसास ही कुछ ऐसा होता है कि लोग इसके मोहपाश में बंध जाते हैं। और दुनिया बिल्कुल हमारे सपनों की तरह रंगीन लगने लगती है। हर चीज खुबसूरत और प्यारी लगने लगती है। तन्हाई में मुस्कुरानाए किसी का इंतजार और रूठनाए मनाना ये सभी प्यार ही तो होते हैं। इस वक्त सपना भी इन्हीं सब का आनंद ले रही थी। इस बीच सौरभ की सरकारी विभाग में एक अच्छे ओहदे पर नियुक्ति हो गई थी। और वे दोनों एक साथ जिंदगी की शुरूआत करने की सोच ही रहे थेए कि अचानक एक दिन सौरभ के माता.पिता ने उसकी शादी अपनी ही जाति की लडण्की के साथ तय कर दी। क्योंकि वो लडण्की अपने साथ दहेज में मोटी रकम भी लाने वाली थी। उसी पैसों से सौरभ की बहनों की शादी भी होनी थी। दहेज और जाति प्रथा ये दोनों हमारे समाज के लिए एक सबसे बडण्ी विकृति है। इसके कारण ना जाने कितनी बेटियों ने अपनी जान गंवाई है। सौरभ को जब उसके घर वालों ने इसके बारे बताया तोए सौरभ के तो जैसे होश ही उडण् गए। वो एक तरफ सपना के साथ सुनहरे भविष्य के सपने बुन रहा थाए वहीं दूसरी ओर परिवार के प्रति फर्ज उसे रोक रहे थे । सौरभ वर्तमान और भविष्य की मंच्धार में गोते खा रहा था। इस दिमागी उथल.पुथल के बीच वह यह तय नहीं कर पा रहा था कि वह कैसे अपने घर वालों को सपना के बारे में बताए। सौरभ यह जानता था कि इस रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति तभी मिल सकती थीए जब उन दोनों की जाति एक होती और सपना दहेज की मोटी रकम भी अपने साथ लाती। सौरभ ने रात इसी कशमकश में गुजारी की वह क्या फैसला करे। सुबह जब वह सपना से मिला तो उसने अपना फैसला सुनाते हुए सपना को कहा कि मैं अपने प्यार के कारण अपने फर्ज से मुंह नहीं मोडण् सकता। अर्थात वह अपने परिवार वालों की मर्जी से ही शादी करेगा। सौरभ की दो टूक सून सपना की आंखों से आंसुओं की धारा निरंतर प्रवाहित होने लगी। सौरभ बहुत मुश्किल से वहां से निकल पाया। कुछ दिनों के बाद दोनों पहले की तरह सामान्य जीवन जीने लगे। लेकिन इस तरह ठुकराए जाने की बात से सपना बहुत ही आहत हो गई। वह सौरभ को किसी भी तरह हासिल करना चाहती थी। एकदिन उसने सौरभ को अपने प्यार का वास्ता दे कर मिलने के लिए बुलाया। मामूली बातचीत झगडण्े का रूप बन गयी। सपना और भी आहत हो गई। सौरभ को पाने का जुनून अब और ज्यादा हो गया। उसने इस मामूली झगडण्े को थाने में ले जा कर सौरभ पर झूठे आरोप लगा दिया। थाने के अफसर सौरभ पर सपना के साथ शादी के लिए दबाव बनाने लगे। कानून का खौफ और परिवार की इज्जत की खातिर सौरभ सपना के साथ शादी को तैयार हो गया। दोनों की शादी पुलिसवालों ने करवा दी। सौरभ को ना चाहते हुए भी सपना को अपने घर पर लाना पडण्ा। सपना अपनी इस सफलता पर फूली नहीं समा रही थी। लेकिन सौरभ उसे पहले की तरह प्यार और सम्मान दे पाने में असर्मथ था। पहले वह सपना से प्यार करता था उसका सम्मान करता था। लेकिन अपने क्पर हुए इस अन्याय को वह भूल पाने में असर्मथ था। इस शादी में सपना को पत्नी और बहू की पदवी तो मिल गयी लेकिन उसे वो सम्मान नहीं मिल पाया। मुश्किलें कम होने के बजाए और बढण्ती चली गयी। जिस शादी के लिए उसने इतने जतन किए झूठ का सहारा लिया। अब वही शादी उसके लिए गले की फांस बन चुकी थी। सौरभ और सपना एक छत के नीचे तो रहते थेए पर बिल्कुल उसकी अजनबियों की तरह व्यवहार था उन दोनों का। घर वालों ने तो कभी सपना को अपनाया ही नही था। ंएक वो दिन थे जब सौरभ और सपना एक दूसरे से घंटों बात किया करते थे। और एक आज का दिन है जब उन दोनों की महीनों बात नहीं होती थी। सपना अंदर ही अंदर घुटती रही। और एकदिन उसने घर छोडण्ने का निर्णय लिया। पर सवाल यह था कि वो जाए कहांघ् माता पिता ने उसकी शादी के बाद से ही सारे रिश्ते तोडण् लिए थे। इसलिए सपना ने एक नौकरी ढूंढ ली और आगे की पढण्ाई शुरू कर दी। दिन ऐसे ही व्यतीत होने लगेए पर सपना ने उम्मीद नहीं छोडण्ी थी। उसे आज भी सौरभ का इंतजार था। और सपना की आस उस दिन पूरी भी हुई जब सौरभ ने फोन कर कहा कि वह उससे मिलना चाहता है। सपना ने तो फिर से नए सपने सजा लिए थे। सौरभ सपना के पास आया लेकिन र्सिफ तलाक के कागजात पर हस्ताक्षर के लिए। उसने कहा कि मैं अपने माता.पिता की पसंद की लडण्की के साथ शादी कर रहा हूं। एक ही क्षण में सपना के सारे सपने चूर हो गए। सपना की आंखों से आंसूओं की बरसात हो रही थी। और वह सोच रही थी कि मैंने प्यार को समझा ही नहीं ए अपनी जिद और जुनून को ही शायद प्यार समझ लिया। प्यार एक खुबसूरत अहसास है इस बात को उसने आज ही समझा था।
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