आदर्शवादी, और सिधांन्तिक छवि के महानायक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था। महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतं़त्र राष्ट´ के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया। नेहरू जी एक ऐसे राजनेता थे जिन्होंने अपने व्यक्तित्व का प्रकाश हर किसी के जीवन पर डाला है। यही नहीं वे आधुनिक भारतीय राष्ट´ के समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार मानें जाते हैं। वे बच्चों से बेहद प्रेम करते थे, उनका मानना था कि किसी भी देश का भविष्य बच्चें होते हैं। वे राष्ट´ की बहुमूल्य संपति होते हैं। इसलिए उनका जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बच्चे भी इन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहते थे। महान लेखक, विचारक और कुशल राजनेता जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू एक मशहूर बैरिस्टर और समाजसेवी थे। उनकी माता स्वरूप रानी एक ब्राहमण परिवार से तालुक्कात रखती थी। इसलिए पंडित नाम नेहरू जी को माता की तरफ से मिला था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। उसके बाद लगभग पंद्रह साल की उम्र में पंडित नेहरू को आगे की पढ.ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया। जहां इन्होंने लाॅ की डिग्री ली। 7 साल इंग्लैंड में रहकर नेहरू जी ने समाजवाद एवं आयरिश राष्ट´वाद की जानकारी हासिल की। उसके बाद भारत लौट कर वकालत शुरू की। अपने देशप्रेम के कारण इन्होंने भारत लौटने का निर्णय लिया और आजादी की लड.ाई में अपना योगदान दिया। 1917 में नेहरू जी होमरूल लीग में शामिल हो गए। इसके दो साल के बाद राजनीति में उनका पदार्पण हुआ, और गांधीजी से उनका परिचय हुआ। वे गांधी जी को अपना आदर्श मानने लगे यहां तक की नेहरू जी ने विदेशी वस्तुओं का त्याग कर दिया और खादी को अपना लिया। बाद में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में उनका साथ देने के कारण उन्हें गिरफतार भी किया गया। 1926से 1928 तक, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में नेहरू जी ने अपनी सेवा दी। कांग्रेस के इसी सत्र में स्वराज्य की मांग की गई थी। 26 जनवरी को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतं़त्र भारत का झंडा फहराया था। इस दौरान महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी। इस शांतिपूर्ण आंदोलन को सफतलता भी मिली। इसका परिणाम यह हुआ कि ब्रिटिश शासक राजनीति में परिर्वतन लाने पर मजबूर हो गए। और नेहरू जी को राजनीति का खासा ज्ञान हो चुका था, वे उसमें अच्छी पकड. बना चुके थे। परिणाम स्वरूप इन्हें 1936 और 1937 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। 1947 में आजादी के समय उन्होंने अंग्रेजी सरकार के साथ वार्तालाप में भी अपनी अहम भूमिका निभाई।इसके बाद देशवासियों के सामने नेहरू जी की एक अलग ही छवि बन गई। और वे देशवासियों के लिए एक आदर्श बन गए। गांधी जी के करीबी होने की वजह से उन्हें भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया। पंडित नेहरू आधुनिक भारत के पक्षधर थे इसलिए उन्होंने आधुनिक सोच पर भारत की नींव का निर्माण किया और शांति और संगठन के लिए गुट-निरपेक्ष आंदोलन की रचना की। इसके अलावा नेहरू जी का पश्चिम बर्लिन, आॅस्टि´या और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोट मुद्रदों के समाधान में कई समझौते और युद्ध में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके इस योगदान के कारण उन्हें 1955 में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। पंडित नेहरू एक अच्छे राजनेता, प्रभावशाली वक्ता तो थे, साथ ही साथ वे एक अच्छे लेखक भी थे। उनकी कलम से लिखा हुआ हर शब्द सामने वाले पर गहरा असर डालता था इसके साथ ही लोग उनकी किताबें पढ.ने के लिए काफी उत्साहित रहते थे। नेहरू जी कर मानना था कि जो इंसान अपने उद्रदेश्य, सिद्धांत और आदर्शों को भूल जाते हैं, तो उन्हें सफलता हाथ नहीं लगती। उनका मानना था, कि नागरिकता देश की सेवा में ही निहित होती है।
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