शाम घिर आई
है आसमान में
काले-काले बादल
उमड. घुमड. कर
रहे हैं। हवाओं
का रूख बता
रहा है जैसे
कोई तुफान आने
वाला है। निलिमा
खिड.की से
सिर टिकाए एकटक
निस्तब्ध आसमान को देखे
जा रही है।
उसकी आंखों से
निरंतर आंसूओं की बरसात
हो रही है।
क्योंकि उसके अंदर
के तुफान ने
उसे बेचैन कर
रखा है। वह
अपनी विवशता पर
लगातार रोती जा
रही थी, और
अपने बीते दिनों
को याद कर
रही थी। कुछ
दिनों पहले वह
कितनी खुश थी,
जब उसे पता
चला कि वो
मां बनने वाली
है। सास-ससुर
और पति राजेश
छोटा और कितना
खुशहाल परिवार था। उसी
परिवार में एक
नए फूल के
जुड.ने की
खबर से पूरे
परिवार में खुशी
की लहर थी।
निलिमा की सास
उसका ऐसे ख्याल
रख रही थी
जैसे एक मां
अपनी बेटी का
ख्याल रखती है।
यह सब देख
कर निलिमा अपनी
किस्मत पर फर्क
महसूस कर रही
थी। निलिमा की
सास भले ही
आधुनिक युग की
महिला थीं, लेकिन
दिमागी तौर पर
पूरी रूढिवादी थीं।
निलिमा का पति
और ससुर भी
पुराने ख्यालात के थे।
निलिमा जहां मां
बनने की अहसास
से ही खुश
थी वहीं उसके
परिवार वाले आने
वाला मेहमान लड.का होगा
या लड.की
इस बात को
लेकर बेचैन थे।
एक दिन निलिमा
की सास और
उसका पति राजेश
उसे डाक्टर के
पास चेकअप के
बहाने उसके गर्भ
में पल रहे
बच्चे का लिंग
परीक्षण करवा लिया।
लेकिन इस बात
से बेखबर निलिमा
अपने होने वाले
बच्चे के लिए
चीजें इक्ट्रठी कर
रह थीं। अचानक
दो दिनों के
बाद निलिमा को
उसके घर वालों
के व्यवहार में
परिर्वतन नजर आने
लगा। जो सास
दिन भर उसकी
बलाएं लेते थकती
नहीं थी, वही
अब निलिमा को
बात-बात पर
ताने सूना रही
थी। अब निलिमा
के खाने पीने
पर भी रोक
लग गए थे।
वहीं राजेश का
व्यवहार भी बदल
गया था। यह
सब देख कर
निलिमा को घबराहट
हो रही थी।
उसका मन कुछ
अनहोनी को लेकर
आशंकित था। वह
इस बदलाव से
आहत और बेचैन
भी थी। लेकिन
उसे कुछ समझ
में नहीं आ
रहा था कि
बात क्या थी।
एक रात जब
वो किचन से
पानी लेने जा
रही थी, तभी
उसने अपने सास-ससुर की
फुसफुसाहट सुनी। उन सब
में उसका पति
भी शामिल था
इस बात से
निलिमा बहुत ही
दुखी हो गई।
इसके बाद निलिमा
ने जो सुना
उसे सुन कर
तो जैसे उसके
होश ही उड.
गए। वे सभी
निलिमा के होने
वाले बच्चे को
मारने की तैयारी
कर रहे थे,
क्योंकि निलिमा के गर्भ
में एक कन्या
पल रही थी।
यह सब सुन
कर निलिमा का
दिल बैठ गया
और वो अपने
कमरे में आकर
लगातार रोये जा
रही थी। उसे
कुछ समझ में
नहीं आ रहा
था कि वो
क्या करे। नलिमा
का मायका
भी इतना धनी नहीं
था कि वे
निलिमा की मदद
करते। बड.ी
मुश्किल से तो
निलिमा के माता
-पिता ने उसका
विवाह करवाया था।
यही सोचते सोचते
उसकी आंख लग
गई। अगली सुबह
उसकी नींद एक
आवाज के साथ
खुली। उसे लगा
जैसे कोई उसे
उठो मां कह
कर उसे उठा
रहा हो। निलिमा
इधर उधर देखने
लगी, उसे फिर
आवाज आई मां
तुम अकेली नहीं
हो मैं तम्हारे
साथ हूं। निलिमा
ने चारों ओर
देखा पर उसे
कमरे में कोई
भी नजर नहीं
आया। फिर उसने
महसूस किया कि
यह आवाज तो
उसके गर्भ से
आ रही थी।
उसका अंश उसकी
बेटी जो इस
दुनिया में आई
भी नहीं थी
वह अभी से
उसका सहारा बन
रही थी। इतने
में दरवाजे पर
दस्तक हुई निलिमा
की सास उसे
डाक्टर के पास
जाने के लिए
तैयार होने को
बोल गई। निलिमा
पूरे वेग से
उठी और उसने
अपना सारा सामान
समेटा और नीचे
आ गई। अपनी
सास के साथ
जाने के लिए
नहीं बल्कि एक
नई जिंदगी की
तलाश में जहां
वो और उसकी
बेटी महफूज रह
सकें। आज वो
बहुत ही खुश
थी क्योंकि उसे
उसकी बेटी का
साथ जो मिल
गया था। और
निलिमा की सास
उसे जाता हुआ
बस देखती रह
गई।
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