पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेेने वाला वायरस कोरोना ने वैश्विक स्तर पर भय और दहशत का महौल बना दिया है। पिछले चार महीनों में हम सब की दुनिया एकदम बदल गई है। हजारों लोगों की जान चली गई। वहीं लाखों लोग बीमार पड.े हुए हैं। हर तरफ डर और भय का महौल कायम हो गया है। एक वायरस ने ऐसा कहर बरपाया की लोगों की पूरी दुनिया ही बदल गई है।
क्या है कोरोना
कोरोना श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी है। कोरोना वायरस 2019 में चीन के वुहान शहर में सबसे पहले सामने आया। और उसके बाद इसने पूरी दुनिया को अपनी गिरहृत में ले लिया। महामारी के वैश्विक प्रसार के साथ-साथ विकसित और अविकसित समाज की विसंगतियां सामने आ रही हैं। वैश्विक स्तर पर संक्रमितों की संख्या 74.50 लाख के पार चली गई है। वहीं 4.19 लाख लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हो गई है। भारत में संक्रमितों की संख्या 287,155 है, वहीं मरने वालों की संख्या 8107 है। आंकड.े डराने वाले हैं। लेकिन यह वायरस हमें ऐसी चीजें बता रहा है, जिन्हें हम आमतौर पर स्वीकार नहीं करना चाहते हैं।
कैसे करें बचाव
यह हमें समृद्ध देशों में मौजूद असमानताओं को पहचानने के लिए भी बाध्य कर रहा है। बीमारी की भयवता को देख कर विशेषज्ञ लगातार सलाह दे रहे हैं कि लोग भीड. में जाने से बचे, और यादि कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचित करे। ताकि उसका ईलाज सही समय पर शुरू किया जा सके और अन्य लोगों को इसके संक्रमण से बचाया जा सके।
जीवन कैसे हो रहा प्रभावित
इस वायरस के द्वारा फैले महामारी ने कितनों लोगों को उनके अपनों से जुदा कर दिया। इससे आर्थिक क्षति तो हो रही है, साथ ही साथ इस महामारी ने हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव डाला है। लाखों लोगों के रोजगार खत्म हो गये। अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। लेकिन इस महामारी में एक अच्छी बात यह देखने को मिली कि मुश्किल घड.ी में सारी दुनिया एकजुट हो कर एक दूसरे का साथ देने के लिए तत्पर है। लोग अपने समर्थ्य के अनुसार एक दूसरे की मदद कर आपसी भाईचारे की मिसाल दे रहे हैं। साथ ही साथ कोरोना वायरस हमें ऐसी चीजों के बारे में बता रहा है, जिन्हें हम आम तौर पर स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। यह हमें समृद्ध देशों में मौजूद असमानताओं को पहचानने के लिए भी बाध्य कर रहा है। अमेरिका और इटली जैसे विकसित देशों में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था होेने के बावजूद इन देशों में भी करोना ने अपना कहर बरपाया है। लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हुए और कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है। पूरे विश्व में लोग आर्थिक संकटों का सामना कर रहे हैं।
अर्थव्यवस्था पर क्या हो रहा है असर
ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था का प्रभावित होना लाजमी है। संयुक्त राष्टकृ की कांफ्रेंस ऑन टकृेड एंड डेवलपमेंट ;यूएनसीटीएडीद्ध की रिर्पोट के अनुसार कोरोना वायरस से प्रभावित होने वालों में दुनिया की सबसे बड.ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत भी शामिल है। इन सब के बीच आम आदमी एक दहशत के साये में गुजर रहा है। पिछले चार महीनों में हमारी दुनिया एकदम बदल गई है। हजारों लोगों की जान चली गई है और लाखों लोग बीमार पड.े हुए हैं। हम सब पर कोरोना वायरस ने प्रभावित किया है। हम सभी के रहन-सहन बदल गए हैं। हम सभी को अपने आज और आने वाले कल की चिंता सता रही है। पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगाया गया। ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। इन सब के बीच लोगों के रोजगार पर भी असर पड.ा ।
नकारात्मकता से कैसे बचें
सभी सेक्टर पर इस लॉकडाउन का बुरा असर हुआ और जिंदगी थम सी गई। हर किसी के मन में यह सवाल है कि जिंदगी के आम पटरी पर लौटने में कितना वक्त लगेगा। लेकिन इस बात का जवाब शायद किसी के पास नहीं है। लोग प्रयासरत हैं कि कैसे इस संकट की घड.ी से बाहर आयें। आम लोग तो प्रभावित हुए ही हैं, इसके साथ कुछ टेलीविजन जगत के लोग जैसे प्रेक्षा मेहता, मनमीत ग्रेवाल, सेजल शर्मा और जाने माने फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत भी डिप्रेशन की वजह से खुदकुशीे कर लिए। वहीं कुछ लोग निराश और हताश भी हो गए हैं। क्लिनिकल सोशलिस्ट साइकायटिकृस डा. मालती सिंह बताती हैं। कि लोकडाउन की वजह से मनोरोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। लोकडाउन में नए मरीज तो आ नहीं रहे हैं, लेकिन पुराने मरीज लगातार कोरोना और लॉकडाउन से संबंधित सवाल पूछ रहे हैं। लोगों के व्यवहार और सोच में बदलाव आ रहा है। उनके मन में निगेटिव विचार आ रहे हैं। इनके कारणों के बारे में वे बताती हैं कि सेलेब्रिटी काम नहीं मिलने के कारण छोटे मोटे काम करके गुजारा नहीं कर सकते हैं। और वे कोरोना के डर और काम नहीं मिलने के डर के कारण भी आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं। इसका एक कारण अकेलापन भी है, लोकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हैं वे घूम फिर नहीं सकते और डिप्रेश हो जाते हैं। रोजगार और तंगी के कारण भी लोग चिड.चिड.े हो जाते हैं। वे असमंजस में आ जाते हैं और उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगती है। कुछ लोग तो घर नहीं जा पाने के कारण भी खुदकुशी कर रहे हैं। डा. मालती लोगों को सलाह देती हैं कि वे घर वालों से बात करें। खुद को व्यक्त करें और अपने आप को हमेशा बिजी रखें। लंदन के किंग ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में बताया कि इस मुश्किल दौर में मुख्य रूप से तीन तरह की पर्सनालिटी लोगों में देखने को मिल रही है। एक वे जिन्होंने सब कुछ को स्वीकार कर लिया है, दूसरे वे जो खुद को पीडि.त महसूस कर रहे हैं। और तीसरे वे प्रतिरोध कर रहे है। वही ब्रिटेन के शोधकर्ताओं के अनुसार 48 फीसदी लोग स्वीकार करने वालों की श्रेणी में आते है। ये लॉकडाउन में शांति से जिंदगी जी रहे हैं और इस जीवन को स्वीकार कर रहे हैं। 44 प्रतिशत लोग लॉकडाउन से पीडि.त हैं और 8 प्रतिशत लोग तीसरी श्रेणी में आते हैं। आज जरूरत है कि हम सब पूरे आत्मविश्वास के साथ इस बीमारी और इस कठिन समय का डट कर सामना करें। हमें हौसले के साथ इस बीमारी को मात दे कर आगे बढ.ना है। तभी कोरोना नेगेटिव और जिंदगी पॉजीटिव होगी।
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