विविधता में एकता हमारे भारत वर्ष की पहचान है। यहां भिन्न-भिन्न जाति और धर्म के लोग निवास करते हैं। आपस में हम भारतीय चाहे कितने भी एक दूसरे से वैचारिक मतभेद रखें, पर जब बात अपने देश की एकजुटता की आती है। तो सभी जाति और धर्म के लोग आपसी भाईचारे और एकजुटता का परिचय दे कर भारत का गौरव बढ.ा कर सारे विश्व में एक मिसाल कायम कर देते हैं। और यही बात हम भारतीयों को आम से खास बनाता है। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे संपन्न और समृद्ध संस्कृति है। और भारत की संस्कृति की एक महान विशेषता है अनेकता में एकता। और यही सदभावना एक भावनात्मक एकता की आधारशिला भी है। हमारे देश में विभिन्न जातियों, समुदायों और धर्मों के बावजूद हमारा जनमानस एक ऐसी संस्कृति और एकता के सूत्र में बंधा है जो अपने आप में एक मिसाल है।
लगभग सौ वर्षों तक भारत देश में शासन करने वाले अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो और शासन करो वाली नीति अपनाई थी। ताकि भारतीय एकता कमजोर पड. जाये। लेकिन विदेशी ताकतों का भारतीय एकता और अखंडता पर कोई प्रभाव नहीं पड.ा। और इस लड.ाई में सभी भारतीयों ने एकता को अपना सबसे बड.ा हथियार बनाकर अंग्रेजों को भारत से बाहर जाने पर मजबूर कर स्वाधीनता हासिल की। और आपसी प्रेम और भाईचारे का उदाहरण लोगों के सामने रखा। 26 जनवरी हम सभी भारतीयों के लिए एक राष्ट´ीय पर्व है। क्योंकि इसीदिन 1950 को भारत सरकार ने अधिनियम को हटाकर भारत का संविधान लागू किया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 कोे इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया । और तभी से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाने लगा।
26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट´पति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ घ्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। और यह क्षण समस्त भारतवासियों के लिए एक गौरव और ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय बन कर हमारे देश की इतिहास में दर्ज हो गया। भारत देश में हिंदी, इंगलिश,उर्दू, पंजाबी, उडि.या, तमिल, तेलगू, गुजराती, कन्नड., असमिया, मराठी, मलयालम आदि भाषाएं बोली जाती हैं। इन सभी भाषाओं के माध्यम से लोग अपनी भावों को एक दूसरे के साथ साझा करते हैं, लेकिन भावना सबकी एक ही है, इसलिए हम सभी भारतीय एक है, क्योंकि हम सभी की भावना और आत्मा एक है। हमारे देश की संविधान की सबसे अच्छी बात यह है कि वो देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने का अधिकार देता है। लोग स्वेच्छा से अपनी मर्जी से अपने नेता का चुनाव कर सकते हैं। 26 जनवरी को भारत के राष्ट´पति राष्ट´ ध्वज फहराते हैं। गणतंत्र दिवस वैसे तो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन राजधानी दिल्ली में इसकी धूम देखने लायक होती है। हर साल भव्य परेड का आयोजन किया जाता है जो इंडिया गेट से राष्ट´पति भवन तक होती है। इस परेड के दौरान थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान शामिल होते हैं। और तीनों सेनाओं के प्रमुख राष्ट´पति को सलामी देते हैं। साथ ही साथ इस दिन तीनों सेना आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन भी करती है जो राष्ट´ीय शक्ति का प्रतीक है। लेकिन इस साल कोविड-19 जैसी महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। इसलिए महामारी से उपजी समस्याएं और दुश्चिंताओं के बीच देश 72वां गणतंत्र दिवस मनाने वाला है। और लगभग प्रतिवर्ष इस दिन मुख्य अतिथि के तौर पर विदेशी मेहमान को आमंत्रित किया जाता है। इस साल भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। लेकिन कोरोना संक्रमण के नए स्ट´ेन के कारण ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपना दौरा रद्रद कर दिया। ऐसे में यह चैथी बार होगा जब गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई भी चीफ गेस्ट नहीं होगा। ऐसा पहली बार 1952 में फिर 1953 में और 1966 में लाल बहादूर शास्त्री जी की मृत्यु के समय हुआ था। और वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण यह होगा। इस साल गणतंत्र दिवस पर वो भव्यता भी देखने को नहीं मिलेगी जो हर साल देखने को मिलती है। क्योंकि समारोह स्थल पर 25 हजार से ज्यादा दर्शकों को न बैठाने का फैसला किया जा चुका है। परेड में शामिल फौजी दस्तों और झांकियों की संख्या कम होगी और परेड लाल किले में जाने के बजाए नेशनल स्टेडियम पर यानी लगभग आधी दूरी पर समाप्त कर दी जायेगी। 2021 में 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम पूरी सादगी और कोरोना प्रोटोकाॅल को देखते हुए मनाया जायेगा। लेकिन भारतवासियों के दिलों से देशभक्ति का जज्बा कम नहीं होगा।



0 comments:
एक टिप्पणी भेजें