प्यार एक खूबसूरत अहसास है जिसे शब्दों में बंया नहीं किया जा सकता है। यह सिर्फ और सिर्फ महसूस किया जाता है। यों तो प्यार करने का कोई विशेष समय नहीं होता है। क्योंकि प्यार तो बस हो जाता है। लेकिन बात जब फरवरी के महीने की हो तो सर्द मौसम भी रूमानियत से भर जाता है। और इन हवाओं की साजिश के कारण पूरा वातावरण प्यार की खुश्बू से सराबोर हो जाता है। हर कोई इस प्यार के रंग में रंग जाता है। प्यार में रूमानियत और कल्पना दोनों का समावेश होता है। जो बिना अंजाम की परवाह किए बस एक दूसरे के हो जाने में ही यकीन करता है। जब किसी को किसी से प्यार होता है तो उस व्यक्ति के जीवन में एक ठहराव आ जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि दो व्यक्ति जब एक दूसरे के करीब आते हैं तो फिर किसी और चीज की गुंजाइश ही नहीं होती है। वे एकदूसरे को उनकी खूबी और कमियों के साथ अपनाते हैं। और एकदूसरे का साथ पाने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं। लेकिन अभी के दौर में अगर प्यार की बात करें तो लोग प्यार में पड.ने के पहले ही कंडीशन और एक्पक्टेशन रखने लगते हैं। वर्तमान परिवेश में वक्त बदला, सोच बदली और अब रिश्तों के मायने भी बदल रहे हैं। आज का प्यार और प्रेमी जोड.े रूमानियत और कल्पना में नहीं बल्कि यर्थाथ में जीने वाले हैं। अब प्यार पर व्यवहारिकता हावी है। आज की पीढ.ी मोहब्बत करते हुए भी व्यवहारिकता की डोर थामे रहती हैं।
आज की युवा पीढ.ी प्यार को एक खूबसूरत
अहसास तो मानते हैं, लेकिन अब वे कल्पनाओं
में जीने के बजाय व्यवहारिकता
को महत्व देते हैं। पहले प्यार में अहसास महत्वपूर्ण तत्व था, लेकिन अब उसमें व्यवहारिकता का महत्व ज्यादा हो गया है। मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि आज की पीढ.ी बहुत सारी बातों को ध्यान में रखकर ही किसी रिश्ते
में पड.ती है। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि उनमें भावुकता नहीं है, लेकिन वह भावुक होने से ज्यादा
व्यवहारिक है। लड.कियां भी अब लांग टर्म कमिटमेंट में यकीन करने लगी हैं। और वे भी अब किसी के पीछे जिंदगी खराब करने के बजाय व्यवहारिकता को तव्वजो
देने लगी हैं। आज के दौर में सच्चे प्यार की परिभाषा
ही बदल गई है। आज लोग प्यार में पड.ते ही हक जताना शुरू कर देते हैं। जबकि प्यार में कोई जबरजस्ती नहीं होनी चाहिए। प्यार भावनाओें और विचारों
का निचोड.
होता है। प्यार में जीवन के सौन्दर्य को पहचानना होता है। प्यार में स्वतंत्रता
और एक दूसरे के लिए सम्मान का होना बहुत ही जरूरी है। आज सामाजिक
मूल्यों में बदलाव आ रहा है, जिसके कारण युवाओं की सोच बदल रही है। अब वे प्यार हो या जिंदगी
जीने के तरीके हर चीज में व्यवहारिक हो कर सोचने लगे हैं। अब प्यार में ब्रेकअप और पैचअप होना आम बात हो गये हैं। आज के युवा ईमानदारी के साथ यह स्वीकार करते हैं कि काॅलेज
लाइफ बिना गर्ल या बाॅय फ्रेंड के अधूरे हैं। लेकिन जब जिंदगी भर साथ निभाने की बात आती है तो वे व्यवहारिक हो जाते हैं। वे रिश्तों और अहसासों
से दूर संपन्नता में क्षणिक
सुखी तलाश करते हैं। ऐसे में पहली नजर का प्यार और सच्ची मोहब्बत की बात बेमानी हो जाती है। जबकि प्रेम एक शाश्वत
भाव है वह कल भी था, आज भी है और आने वाले कल में भी रहेगा। युगों से चली आ रही प्रेम कहानियां
आज भी बदस्तूर जारी है। प्यार करना या प्यार में होना ही दुनिया का सबसे खुबसूरत अहसास है। प्यार रिश्तों
को जिंदा रखता है इसके बिना दुनिया अधूरी है। प्यार समर्पण
का दूसरा नाम है। प्यार में देना ही पा लेना होता है और जो व्यक्ति इसे समझ लेते हैं, सही मायने में वे ही प्यार का सही मतलब समझ कर उसे ताउम्र
निभाते हैं। और इस बात को समझने के लिए किसी खास दिन या तारीख की आवश्यकता नहीं होती है।


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