स्वतंत्रता के लिए संघर्ष अभी बाकी है !

स्वतंत्रता के लिए संघर्ष अभी बाकी है !

आजादी किसे प्यारी नहीं होती क्या पशु ,पक्षी क्या मनुष्य सभी खुली हवा में सांस लेना चाहते हैं। सभी की चाहत होती है कि वो अपनी जिंदगी अपने मन के अनुकूल बितायें। लगभग 200 वर्षों की अंग्रजों की गुलामी से समस्त जनता त्रस्त थी। खुली फिजा में सांस लेने को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857में बजा किंतु कुछ कारणों से हमें यह आजादी 15 अगस्त 1947 . को मिली। आजादी का संघर्ष बाल गंगाधर तिलक के नारे स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है के बाद से जोर पकड.ने लगा। लोग स्वतंत्रता का मोल समझने लगे और अपने हक के लिए एकजुट होने लगे। और यह सब लोगों की एकजुटता और आपसी भाईचारे की ही देने है कि एक दिन अंग्रेजों को भारतीयों की एकता के आगे घुटने टेकने पड.े। और भारत छोड. कर जाना पड.ा। व्यक्ति को पराधीनता में चाहे कितना भी सुख प्राप्त हो जाये किंतु उसे असली आनंद तो अपनी स्वतंत्रता में ही मिलती है। भारत को आजादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी जान गवानी पड. थी। स्वतंत्रता सेनानियों के कठिन संघर्ष के बाद ही भारत को अंग्रेजों की हुकूमत से आजादी मिली थी। और वो 15 अगस्त का दिन था इसलिए इस दिन हम स्वतं़त्रता दिवस मनाते हैं। कई वर्षों के विद्रोहों के बाद ही हमसब ने स्वतंत्रता प्राप्त की और 14 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को भारत एक स्वतंत्र देश बन गया। दिल्ली के लाल किले में पंडि. जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार भारत के झंडे को फहराया था। उन्होंने मध्यरात्रि के स्टकृोक पर टकृास्ट विस्ट डेस्टिनी भाषण दिया। पूरे राष्टकृ ने उन्हें अत्यंत हर्ष के साथ सुना। और तभी से लगभग हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर, प्रधानमंत्री पुरानी दिल्ली में लाल किले पर राष्टकृीय ध्वज फहराते हैं और जनता को संबोधित करते हैं। इसके साथ ही तिरंगे को 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है।  

          इस वर्ष हम सब 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। और यह हम सभी भारतवासियों के लिए गर्व की बात है। भारत की आजादी के पहले एक ऐसे भारत की कल्पना की गई थी, जो हर तरह से विकसित और समृद्धिशाली हो। लेकिन वर्तमान के परिपेक्ष्य में यह बात बिल्कुल बेमानी लगती है। दुनिया के नक्शे में अखंडित दिखन वाला भारत देश के अंदरूनी हालात विभाजित हो चुके हैं। जिसका एक भाग अति समृद्ध और संपन्न है, चारों ओर जहां केवल खुशहाली ही खुशहाली नजर आतीे है। विज्ञान, प्रौद्रयोगिकी, शिक्षा और जीवन यापन के उत्तम साधनों का प्रयोग करने वाले लोग हैं जो धन-धान्य युक्त और विपनन्नता से बहुत दूर हैं। वहीं दूसरी तरफ हाशिए पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें दो जून की रोटी के लिए काफी मशक्कत करनी पड.ती है। लेकिन आलम यह है कि ये लोग आज भी रोटी, कपड. और मकान जैसी मौलिक जरूरतों के लिए भी वंचित हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि केंद्र और राज्य सरकारें इनका संज्ञान नहीं लेतीं। लेकिन जो योजनाएं और सुविघाएं इनके लिए दी जाती हैं वो इनके पास पहुंचने के पहले ही फाइलों में सिमट कर दम तोड. देती है। और विकास सिर्फ फाइलों में ही हो पाती है। 

आज भी भारत की आधी आबादी अशिक्षा, कुपोषण, गरीबी, भुखमरी, और बेरोजगारी का दंश झेल रही है। भूख, अशिक्षा और भ्रष्टाचार से त्रस्त भारत को आज भी अनेकों समस्याओं का सामना करना पड. रहा है।  आतंकवाद और महिलाओं के प्रति बढ.ते अपराध, निश्चित ही आजाद भारत के लिए सबसे शर्मनाक और मन को झकझोरने वाली घटना है। और इन सब परिस्थितियों को देख कर मन में एक सवाल आता है कि क्या ऐसे ही आजाद भारत की हम सब ने कल्पना की थी? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज जो खुली हवा में हम जो संास ले रहे हैं वो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरूषों की त्याग और बलिदान का परिणाम है। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इस आजादी की कीमत को समझें। और आजादी के तीनों रंगों के महत्व को समझ कर हम अपने देश के प्रति अपने जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दें। स्वतंत्रता का मतलब केवल सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता ना होकर एक वादे का निर्वाह भी करना है कि हमसब अपने देश को विकास की उंचाईयों तक ले जायेंगे इसके साथ हमेशा देश के सम्मान में अपने सर को झुकायेंगे। और भारत की गरिमा और गौरव को सदैव अपने से बढ.कर समझेंगे। वहीं दूसरी तरफ देश के जिम्मेदार पद पर आसीन लोगों को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए नागरिकों की भलाई और देश हित में कार्य करना चाहिए। धर्म के नाम पर लोगों को बांट कर वोट बैंक की राजनीति को विराम दे कर देश हित और नागरिकों के उत्थान के लिए कार्य करने की ओर अग्रसर होना होगा। तभी देश में फैली हुई कुरीतियां और गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी दूर होगी। और लोगों के साथ-साथ राष्टकृ का भी विकास होगा। और नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी निर्वाह करना होगा। तभी हम सब एक सच्चे नागरिक कहलायेंगे। विविधता में एकता हमारे देश की पहचान है इसलिए हमें अपनी एकता का परिचय देते हुए सबसे पहले राष्टकृ की उन्नति और उसकी सुरक्षा के लिए एकजुट हो कर एक जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय देना होगा। तभी सही मयाने में हम समाज में फैली हुई कुरीतियों से स्वतंत्र हो पायेंगे। और नहीं तो हमें फिर से अपनी स्वतंत्रता के लिए एक लंबा संघर्ष करना पड.ेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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Milan Tomic

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