अपने लिए तो सभी जीते है,ं लेकिन जो दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूंढते हैं ऐसे लोग बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। और यही चीज इनको भीड. से अलग कर एक नई पहचान दिलाती है। कोविड 19 से पूरा विश्व त्राहिमाम है। ऐसे में लोग जीवन और मौलिक जरूरतों के लिए नित्य संघर्षरत हैं। बहुत सारे लोगों ने इस बीमारी के कारण अपने अपनों को खोया तो बहुतों ने अपनी नौकरी खो दी। इतना ही नहीं दो जून की रोटी के लिए भी लोगों को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड.ा। इन सब कारणों की वजह से कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जिन्होंने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण अपने माता पिता को खो दिया। ऐसे में इन बच्चों को उनके रिश्तेदारों ने अपनाया या फिर किसी संस्था ने उन्हें सहारा दिया। इन बच्चों की पढ.ाई की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों ने ले ली। लेकिन वहीं कुछ ऐसे बच्चे भी हैं जिनके माता पिता की जॉब कोरोना के कारण चली गई । जिसके कारण वे अपने बच्चों को खाना तक खिलाने में भी असमर्थ हो गए। और इस विकट परिस्थिती में उन बच्चों की पढ.ाई भी छूट गई। इन्हीं बच्चों में एक है आयुषी कुमारी इनके पापा की जॉब चली जाने के कारण उसकी आगे की पढ.ाई छूट गई। आयुषी के पिता रमण कुमार किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। लेकिन कोरोना के कारण उनकी नौकरी चली गई। ऐसे में पूरे परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया। और इसलिए आयुषी के पिता उसकी आगे की पढ.ाई करवा पाने में असमर्थ थे।
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विश्वजीत गूंज आयुषी को चेक देते हुए। |
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